Hindi Story - मां की कड़क फटकार - हिंदी प्रेरणादायक कहानी
Hindi Story - मां की कड़क फटकार - हिंदी प्रेरणादायक कहानी
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Hindi Story - मां की कड़क फटकार - हिंदी प्रेरणादायक कहानी |
पती पत्नी साथ मिलकर अपने अपने ऑफिस जाने की तैयारी कर रहे थे,
पत्नी को आज जल्दी जाना था, तभी पती ने पत्नी को कुछ काम के लिए आवाज लगाई,
इस पर पत्नी को गुस्सा आया.
पत्नी ने अपने पति को काफी खरी खोटी सुना दि, एकदम गुस्से मे बोली - बस...!
मैंने आज तक बहुत बरदाश्त हैं, अब मेरी सहनशक्ति मुझे जवाब दे रही है,
अब मैं तुम्हें और बर्दाश्त नहीं कर सकती, मुझे तुम्हारे साथ नहीं रहना है.
पति का गुस्सा भी सातवें आसमान पर था.. पती बोला मैं भी तुम्हे समझाते समझाते
परेशान हो चुका हु. ये बोलते हुए अपनी ऑफिस बॅग लेकर गुस्से से
ऑफिस के लिए निकल गया.
पति के जाने के बाद पत्नी घर पर ही कुछ देर बड़बड़ाती रही, और अपनी मां को फ़ोन किया,
सारी बातें बताई, और बोली की पापा को जल्दी से भेज दो.
मैं सब कुछ छोड़ छाड़ कर बच्चो सहित पापा के साथ
घर आऊंगी, अब और ज़्यादा नही रह सकती इस नर्क में.
घर आऊंगी, अब और ज़्यादा नही रह सकती इस नर्क में.
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मां कुछ देर शांत रही फिर धीरे धीरे बेटी को समझाने की कोशिश की लेकिन बेटी अपने ज़िद पर अड़ी थी,
अब तक मां समझ चुकी थी की मेरी बेटी बेवजह ज़िद कर रही है तो मां ने कड़क शब्दों में कहा, बेटी बहु
बन के आराम से अपने ही घर में रह, तेरी बड़ी बहन को भी मैंने समझाया था,वह भी तेरी तरह छोटी सी बात
का बतंगड़ बनाकर पति से लड़ाई की और ज़िद ज़िद में तलाक लेकर घर में बैठी है और अब पछतावा कर
रही है, अब पछताने से क्या फायदा,
अब तुने वही ड्रामा शुरू कर दिया है, ख़बरदार जो तुने इधर कदम भी
रखा तो... चुपचाप अपने पति से सुलह कर ले, मैं जानती हूं अपने दामाद को,
बिचारा इतना भी बुरा नही है.
मां की फटकार से बेटी के होश ठिकाने आ गए और वो फूट फूट कर रोने लगी.
जब रोकर थकी गई तो उसे निंद आ गई, कुछ देर बाद जब निंद खुली तो दिल हल्का हो चुका था,
बिस्तर पर बैठे बैठे उसे सुबह वाले पति के साथ लड़ाई के सीन को याद आया तो
उसे अपनी खुद की भी काफ़ी गलतियां नज़र आई.
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बेटी ने हाथ मुंह धोकर अपने लिए कड़क चाय बनाई, चाय पिने के बाद वह अपने पति के पसंद का खाना
बनाने में व्यस्त हो गईं, पुरा खाना डाइनिंग पे सज़ा दिया और अपने पति के आने का इंतजार करने लगी,
साथ ही उसके दिमाग में पति से माफी मांगने का ख्याल भी था. आखिर अपना घर अपना ही होता है इस
ख्याल मे डुबी थी तभी दरवाजे की घंटी बजती हैं और उसने दौड़ कर दरवाजा खोला तो सामने उसका
पति था, पति का अच्छे से स्वागत किया, जैसे सुबह कुछ हुआ ही ना हो, पति को भी एकदम आश्चर्य हुआ,
खाना खाने के बाद पति जब खीर खा रहा था तो बोला डिअर, कभी कभार मैं भी गुस्से में तुम्हें कुछ
ज़्यादा ही बोल देता हुं लेकिन बाद में अकेले में पश्चाताप करता हुं, तुमसे हाथ जोड़कर विनती करता हूं..
तुम दिल पर मत लिया करो, इंसान हुं..
गुस्सा आ ही जाता है..
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पति पत्नी को धन्यवाद धन्यवाद कर कर रहा था, और पत्नी मन ही मन मे अपनी मां को धन्यवाद दे रही थी.
जिस मां की कड़क फटकार ने उसको अपना फैसला बदलने के लिए मजबूर होना पड़ा, वरना तो
जज़्बाती फैसला घर बर्बाद कर देता.
अक्सर देखा जाता है की माँ-बाप अपनी शादीशुदा बेटी की हर जायज़ नाजायज़ बात को सपोर्ट करते हैं
और रिश्ते तुट जाते है.
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