Hindi story - कड़वी बहू - हिंदी कहानी - Hindi kahani

Hindi story - कड़वी बहू - हिंदी कहानी -  Hindi kahani 

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शारदा के तीन बेटे थे. तीनो स्वभाव से शांत थे, शारदा ने अपने गरीब परिस्तिथि से तीनो बेटे 
को अच्छा पढाया. तीनो बेटे पढाई खत्म करके शहर में काम करने लगे. धीरे धीरे तीनो 
बेटे शहर में ही बस गए.

बेटे जब दो पैसे कमाने लगे तो शारदा ने तीनो की शादी कर दी. तीनो बेटे और बहु शहर में 
ही रहने लगे.

शारदा अकेली ही गाँव में अपने पुराने मकान में रहती थी. शारदा का स्वभाव थोडा उग्र था. 
साथ ही उसका गाँव छोड़ने का मन भी नहीं हो रहा था. इसलिए शारदा अकेली ही गाँव में 
रहती थी. वह रोज  सुबह शाम मंदिर जाती थी, और सारा दिन भगवन के भक्ति में तल्लीन 
रहती थी.

एक दिन शारदा रोजाना की तरह मंदिर जा कर वापस घर लौट रही थी. तभी रस्ते में 
अचानक उसका संतुलन बिगड़ गया और वो गिर पड़ी. गाँव के लोगों ने शारदा को उठाया
पानी पिलाया और समझाया की अब इस अवस्था में अकेले रहना उचित नहीं. तुम्हारे तीन 
बेटे हैअपने किसी भी बेटे के पास चली जाओ. शारदा को भी गांववालों की बात सही लगी. 
अब बहु बेटो को मुझे अपने पास ले चलो ये बोलने के लिए फोन करने का मन बना लिया. 

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शारदा की तीन बहुएँ थी. सबसे बड़ी बहु अति आज्ञाकारी थी. दूसरी बहु मध्यम आज्ञाकारी 
थी. और छोटी बहु थोड़ी कड़वी थी. शारदा बहुत धार्मिक थी. कोई भी व्रत त्यौहार आता 
पहले से ही तीनों बहुओं को सूचित कर देती. खुशी खुशी व्रत करती. बड़ी और मध्यम 
बहु तो मान जाती थी. लेकिन छोटी बहु [ कडवी ] विरोध पर उतर जाती थी.
आप हर त्योहार पर व्रत रखवा कर उसके आनंद को कष्ट में परिवर्तित कर देती हैं.
तेरी तो जुबान लड़ाने की आदत है. कुछ व्रत तप कर ले..आगे तक साथ जाएँगे. 
सास - बहु की किसी न किसी बात पर बहस होते रहती थी.एक दिन गुस्से में शारदा ने भी 
कह दिया था की.... तू क्या समझती है...! बुढापे में मुझे तेरी जरूरत पड़ने वाली है. 
तो अच्छी तरह समझ ले.... सड़ जाऊँगी लेकिन तेरे पास नहीं आऊँगी.

 शारदा ने घर आते ही सबसे पहले उसने अपने बड़े बेटो को फ़ोन किया. फ़ोन बहु ने 
उठाया. गिर गई हूँ... आजकल कई बार ऐसा हो गया है.... सोचती हूँ तुम्हारे पास ही 
रहने आ जाउँ.
बहु ने कहा अभी नहीं माँ जी कहके इधर उधर के बहाने करके टाल दिया. 
अभी नवरात्र है. अभी नंगे पाँव रह रही हूं आजकल.. किसी का छुआ भी नहीं खाती.. 
ऐसे बहाने कर दिए.
थोड़ी देर में मध्यम बहु को भी फ़ोन लगाया लेकिन उसने भी बहाना करके टाल दिया.

जब बड़ी और मध्यम बहु ने टाल दिया तो छोटी बहु तो बहोत ही कड़वा बोलती है. 
उसे फ़ोन करके कोई फायदा नहीं है. ये सोचकर शारदा शांत बैठ गयी. फ़ोन पे हाथ 
रखके आने वाले कठिन समय की कल्पना में डूबी हुई थी. तभी फोन की घण्टी बजी...!  

आवाज़ से ही समझ गई थी की छोटी बहु है. जरूर कुछ कड़वा ही बोलेगी, गिर गये ना....
आपने तो बताया नहीं लेकिन मैंने भी जासूस छोड़ रखे हैं. आपके पोते को भेज रही हूँ 
लेने के लिए...
तभी शारदा ने कहा..क्या तुझे मेरे शब्द याद नहीं...?
बहु बोली.. जिंदगी भर नहीं भूलूँगी. आपने कहा था सड़ जाऊँगी तो भी तेरे पास नहीँ 
आऊँगी.
तभी मैंने व्रत ले लिया था इस बिगड़ी सासू को सड़ने नहीं देना है.... 
मेरा तप अब शुरू होगा....!

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